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चालबाज अजय

अजय, "अब काली कलूटी को काली कलूटी ना कहूं तो और क्या कहूं? अच्छा हुआ तेरा परिवार छूट गया। साला कंगाल कहीं का ।" नेहा , "मेरे परिवार को गाली मत दो। अगर मेरे पापा ने मुझे पढ़ाया ना होता तो आज ये लेक्चरर की नौकरी ना होती और ये पैसे भी ना होते, जिसकी तुम शराब पीकर आए हो।"

अजय, "अगर तुम लेक्चरर थी तो मैं भी वहाँ कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर था।पता नहीं क्यों तेरे प्यार में पड़ गया? तेरे घरवालों को ये रिश्ता मंजूर ही नही था। दिमाग खराब था मेरा जो मैंने अपने घरवालों की मर्जी के बिना तुम्हारे साथ भाग कर शादी कर ली।काश कि मैने उनकी बात मान ली होती। " कहकर वो लड़खड़ा कर गिर गया।

तब नेहा ने उसे उठा कर बेड पर लिटाया। वो भी लेट गई और सोचने लगी कि उसने इस आदमी के लिए क्या नहीं किया ?शादी के साल बाद ही बेटी तनु हो गई और तीसरे साल में बेटा आरव हो गया।इसने नौकरी और घर के काम काज के साथ बच्चे भी संभालती थी। अजय की कॉलेज की जॉब छूटने के बाद इसने उसे एक दुकान में कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब दिला दी। लेकिन वो काम छोड़ कर बच्चों को संभालने का बहाना करके घर में रहने लगा।

उसके बाद वो काम पर गया ही नहीं। वो घर रहकर बच्चे संभालता था और नेहा जॉब करती थी। नेहा की सैलेरी अच्छी थी इसलिए उसे अजय के घर बैठने से कोई दिक्कत नहीं थी। खाना वही बनाती थी। साफ सफाई के लिए नौकरानी रखी हुई थी। अजय सुबह बच्चों को स्कूल और क्रेच में छोड़ कर आता और खुद यहाँ वहाँ आवारा घूमता। फिर बच्चों की छुट्टी होने पर उन्हें घर ले आता।

नेहा छह बजे घर आती थी।कपड़े बदल कर  वो रात का खाना बनाने लग जाती।अब वो रोज देर रात को शराब में धुत्त होकर वापस आता और नेहा से मारपीट करता उसे कहता कि उसने उसे नौकर बना कर रख दिया है। नेहा चुप चाप मार खाती रहती।

अगली सुबह अजय उससे माफ़ी मांगने लगता। अब ये रोज की बात हो गई। रोज रात वो शराब पीकर आता उसे मारता और सुबह माफ़ी मांग लेता। नेहा उससे बहुत परेशान हो गई थी। पर उसने अपने मम्मी पापा के खिलाफ शादी की थी सो वो उनके पास भी नहीं जा सकती थी। उसे अजय के पेरेंट्स का पता भी नहीं मालूम था और उसने कभी उन्हें देखा भी नहीं था।तो अब कोई नहीं है जिससे वो हेल्प मांगती। ऊपर से उसके दो बच्चे भी थे उनकी भी जिंदगी का सवाल था।

ये सब सोच कर वो सब कुछ बर्दास्त किए जा रही थी। अजय रोज किसी ना किसी बहाने उससे पैसे मांगते रहता । दो दिन पहले उसने डॉक्टर को दांत दिखाने के लिए पैसे लिए और आज बोला," मुझे दस हज़ार दे दो। वो एक शादी में जाना है। सोचता हूँ नया कपड़े और जूते ले लूँ।" अजय बोला।

नेहा प्यार से देखते हुए बोली,  " आपको कितनी बार कहा है कि आप खुद पैसे निकाल लिया करो।इस तरह मुझसे मांगा ना करो। " अजय ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा, "नहीं नेहा, तुम्हारी कमाई का पैसा है। मैं बिना पूछे पैसे कैसे निकाल सकता हूँ? " कहते हुए अजय ने उसके बैग से गिनकर बारह हजार रुपए निकाल लिए। नेहा देख कर भी कुछ नहीं बोली।उसे पता था ,अजय ऐसे ही करता था। पांच कहकर सात निकालना,दस कहकर बारह निकालना,उसके लिए आम बात थी नेहा को अब इस सब की आदत हो गई थी। न

ेहा को डर था कि अगर वो मना करेगी तो वो सोचेगा कि ये अपने पैसे की धौंस दिखा रही है और इसे बातें सुनाएगा। वो अपनी शादी और बच्चों के कारण उसकी हर बात मानती रही।अजय दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा था ।उसका गलत लोगों में उठना बैठना था। वो जुए और नशे में पैसा उड़ाने लगा।ऐसा नहीं था कि वो हमेशा हारता ही था। वो कभी कभी जीत भी जाता था, उस दिन वो बच्चों और नेहा के लिए गिफ्ट ले जाता था। अजय के सभी दोस्त लोफर और बदमाश टाइप के थे। एक दिन वो उनके साथ बैठा तो रोज की तरह सभी उसका मजाक उड़ाने लगे। " ये लो आ गया। नल्ला, निठल्ला , जोरू की कमाई पर ऐश करने वाला। हा  हा  हा.......। " उनमें से एक बोला तो सभी उसकी बात पर हँसने लगे।

ये नई बात नहीं थी उसे ये लोग इन्हीं नामों से ही बुलाते थे और अजय उन्हें कुछ नहीं कहता था उल्टा हँस कर टाल देता था। पर इसका गुस्सा वो रात को नेहा और बच्चों पर निकालता।

एक दिन उसका खास दोस्त मीत बोला, "अजय तू इन लोगों की बातें कैसे सुनता रहता है ? तुझे गुस्सा नहीं आता ? ये तेरी इतनी बेइज्जती करते हैं,और तू बेशर्मों की तरह फिर आ कर बैठ जाता है। "

"मैं और कर भी क्या सकता हूँ ? वैसे भी ये लोग सच ही तो कहते हैं। मैं अपनी पत्नी की कमाई पर ऐश करता हूँ। कई बार सोचा कि मैं भी कोई काम कर लूं। पर उसकी सत्तर हजार के करीब तनखाह है। उसमें से दस बीस हजार मैं ले भी लूंगा तो कौन सी बड़ी बात है? वैसे भी अब मैं घर के कितने काम कर देता हूं और बच्चों को भी संभालता हूँ अगर इन कामों के लिए काम वाली रखें तो बीस हजार से ज्यादा ही लेगी ।इसलिए ही तो नेहा मुझे पैसे दे देती है। "

" पर यार क्या तू सारी उम्र इसी तरह दस -बीस हजार मांगता रहेगा ? एक साथ लंबा हाथ मार। " मीत ने सलाह दी।

अजय बोला, " अरे वो बहुत चालाक है। वो नहीं मानेगी। "

मीत सलाह देते हुए बोला, " मेरी बात सुन ,तू उससे कहना कि हम दोनों मिलकर कोई काम करने वाले हैं। कह देना कि जब काम चल निकलेगा तो पैसे वापस कर देंगे।"

" पर अगर वो पूछेगी कि कौन सा काम कर रहे हो तो हम कौन सा काम कहेंगे ? " अजय ने पूछा।

मीत उसे शरारती स्माइल देते हुए बोला, "कमीने ये भी क्या तुझे सिखाने की जरूरत है? तू इतना समझदार है। बता देना कुछ भी। " अजय, "अब काली कलूटी को काली कलूटी ना कहूं तो और क्या कहूं? अच्छा हुआ तेरा परिवार छूट गया। साला कंगाल कहीं का ।" नेहा , "मेरे परिवार को गाली मत दो। अगर मेरे पापा ने मुझे पढ़ाया ना होता तो आज ये लेक्चरर की नौकरी ना होती और ये पैसे भी ना होते, जिसकी तुम शराब पीकर आए हो।" अजय, "अगर तुम लेक्चरर थी तो मैं भी वहाँ कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर था।पता नहीं क्यों तेरे प्यार में पड़ गया? तेरे घरवालों को ये रिश्ता मंजूर ही नही था। दिमाग खराब था मेरा जो मैंने अपने घरवालों की मर्जी के बिना तुम्हारे साथ भाग कर शादी कर ली।काश कि मैने उनकी बात मान ली होती। " कहकर वो लड़खड़ा कर गिर गया।तब नेहा ने उसे उठा कर बेड पर लिटाया। वो भी लेट गई और सोचने लगी कि उसने इस आदमी के लिए क्या नहीं किया ?शादी के साल बाद ही बेटी तनु हो गई और तीसरे साल में बेटा आरव हो गया।इसने नौकरी और घर के काम काज के साथ बच्चे भी संभालती थी। अजय की कॉलेज की जॉब छूटने के बाद इसने उसे एक दुकान में कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब दिला दी। लेकिन वो काम छोड़ कर बच्चों को संभालने का बहाना करके घर में रहने लगा। उसके बाद वो काम पर गया ही नहीं। वो घर रहकर बच्चे संभालता था और नेहा जॉब करती थी। नेहा की सैलेरी अच्छी थी इसलिए उसे अजय के घर बैठने से कोई दिक्कत नहीं थी। खाना वही बनाती थी। साफ सफाई के लिए नौकरानी रखी हुई थी। अजय सुबह बच्चों को स्कूल और क्रेच में छोड़ कर आता और खुद यहाँ वहाँ आवारा घूमता। फिर बच्चों की छुट्टी होने पर उन्हें घर ले आता। नेहा छह बजे घर आती थी।कपड़े बदल कर  वो रात का खाना बनाने लग जाती।अब वो रोज देर रात को शराब में धुत्त होकर वापस आता और नेहा से मारपीट करता उसे कहता कि उसने उसे नौकर बना कर रख दिया है। नेहा चुप चाप मार खाती रहती। अगली सुबह अजय उससे माफ़ी मांगने लगता। अब ये रोज की बात हो गई। रोज रात वो शराब पीकर आता उसे मारता और सुबह माफ़ी मांग लेता। नेहा उससे बहुत परेशान हो गई थी। पर उसने अपने मम्मी पापा के खिलाफ शादी की थी सो वो उनके पास भी नहीं जा सकती थी। उसे अजय के पेरेंट्स का पता भी नहीं मालूम था और उसने कभी उन्हें देखा भी नहीं था।तो अब कोई नहीं है जिससे वो हेल्प मांगती। ऊपर से उसके दो बच्चे भी थे उनकी भी जिंदगी का सवाल था। ये सब सोच कर वो सब कुछ बर्दास्त किए जा रही थी। अजय रोज किसी ना किसी बहाने उससे पैसे मांगते रहता । दो दिन पहले उसने डॉक्टर को दांत दिखाने के लिए पैसे लिए और आज बोला," मुझे दस हज़ार दे दो। वो एक शादी में जाना है। सोचता हूँ नया कपड़े और जूते ले लूँ।" अजय बोला। नेहा प्यार से देखते हुए बोली,  " आपको कितनी बार कहा है कि आप खुद पैसे निकाल लिया करो।इस तरह मुझसे मांगा ना करो। " अजय ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा, "नहीं नेहा, तुम्हारी कमाई का पैसा है। मैं बिना पूछे पैसे कैसे निकाल सकता हूँ? " कहते हुए अजय ने उसके बैग से गिनकर बारह हजार रुपए निकाल लिए। नेहा देख कर भी कुछ नहीं बोली।उसे पता था ,अजय ऐसे ही करता था। पांच कहकर सात निकालना,दस कहकर बारह निकालना,उसके लिए आम बात थी नेहा को अब इस सब की आदत हो गई थी। नेहा को डर था कि अगर वो मना करेगी तो वो सोचेगा कि ये अपने पैसे की धौंस दिखा रही है और इसे बातें सुनाएगा। वो अपनी शादी और बच्चों के कारण उसकी हर बात मानती रही । अजय दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा था ।उसका गलत लोगों में उठना बैठना था। वो जुए और नशे में पैसा उड़ाने लगा।ऐसा नहीं था कि वो हमेशा हारता ही था। वो कभी कभी जीत भी जाता था, उस दिन वो बच्चों और नेहा के लिए गिफ्ट ले जाता था। अजय के सभी दोस्त लोफर और बदमाश टाइप के थे। एक दिन वो उनके साथ बैठा तो रोज की तरह सभी उसका मजाक उड़ाने लगे। " ये लो आ गया। नल्ला, निठल्ला ,जोरू की कमाई पर ऐश करने वाला। हा  हा  हा.......। " उनमें से एक बोला तो सभी उसकी बात पर हँसने लगे। ये नई बात नहीं थी उसे ये लोग इन्हीं नामों से ही बुलाते थे और अजय उन्हें कुछ नहीं कहता था उल्टा हँस कर टाल देता था। पर इसका गुस्सा वो रात को नेहा और बच्चों पर निकालता। एक दिन उसका खास दोस्त मीत बोला, "अजय तू इन लोगों की बातें कैसे सुनता रहता है ? तुझे गुस्सा नहीं आता ? ये तेरी इतनी बेइज्जती करते हैं,और तू बेशर्मों की तरह फिर आ कर बैठ जाता है। " "मैं और कर भी क्या सकता हूँ ? वैसे भी ये लोग सच ही तो कहते हैं। मैं अपनी पत्नी की कमाई पर ऐश करता हूँ। कई बार सोचा कि मैं भी कोई काम कर लूं। पर उसकी सत्तर हजार के करीब तनखाह है। उसमें से दस बीस हजार मैं ले भी लूंगा तो कौन सी बड़ी बात है? वैसे भी अब मैं घर के कितने काम कर देता हूं और बच्चों को भी संभालता हूँ अगर इन कामों के लिए काम वाली रखें तो बीस हजार से ज्यादा ही लेगी ।इसलिए ही तो नेहा मुझे पैसे दे देती है। " " पर यार क्या तू सारी उम्र इसी तरह दस -बीस हजार मांगता रहेगा ? एक साथ लंबा हाथ मार। " मीत ने सलाह दी। अजय बोला, " अरे वो बहुत चालाक है। वो नहीं मानेगी। " मीत सलाह देते हुए बोला, " मेरी बात सुन ,तू उससे कहना कि हम दोनों मिलकर कोई काम करने वाले हैं। कह देना कि जब काम चल निकलेगा तो पैसे वापस कर देंगे।" " पर अगर वो पूछेगी कि कौन सा काम कर रहे हो तो हम कौन सा काम कहेंगे ? " अजय ने पूछा। मीत उसे शरारती स्माइल देते हुए बोला, "कमीने ये भी क्या तुझे सिखाने की जरूरत है? तू इतना समझदार है। बता देना कुछ भी। " अजय भी हँस दिया उसे ये बात ठीक लगी । उसने तय किया कि वो नेहा से पैसा मांग लेगा।

उस रात घर आया तो बच्चे सो गए थे । नेहा उसे देखकर घबरा गई कि ये रोज की तरह उसे मारेगा। अजय उसके पास आया और उसे कंधे से पकड़ कर अपने गले लगा लिया, नेहा की धड़कन को एक झटका सा लगा वो भी उसकी शरीर से आती बदबू के वाबजूद उससे लिपट गई।

उसने आज बहुत दिनों बाद इस तरह प्यार दिखाया था। अजय बोला, "नेहा ,मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें बिना बात के मारता रहता हूँ। लेकिन मैं भी क्या करूँ ? बाहर हर कोई मुझे , नल्ला, निठल्ला ,जोरू की कमाई पर ऐश करने वाला और पता नहीं क्या क्या कहते हैं। मुझे गुस्सा आ जाता है। लेकिन अब मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैंने काम करने का सोचा है। मैं सोचता हूँ प्रॉपर्टी डीलर का काम कर लेता हूँ। मीत को पार्टनर बना लूंगा। हम मिलकर काम करेंगे। " उसने नेहा को ऐसे ही अपनी बांहों में लिए उसके शरीर से खेलते हुए कहा।

" क्या ? ये तो बहुत अच्छी बात है। तुम ये काम कर लो।तुम्हें मेरी जो भी हेल्प चाहिए होगी मुझे बता देना। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। " नेहा खुश हो कर बोली।

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